Book Reviews

नव रसां री खांण है पौथी: डिंगळ रसावळ
कवि युगदृष्टा हुया करै अर उणरौ रच्यौड़ो साहित उणजुग रै समाज रो दरपण। कवि जिण परिवेस मांय पळै-ढळै, विचरण करै, उणरै जथारथरो वरणाव वो आपरी रचनावां मांय किया करै जिकौ जुगोजुग अमर...
नव रसां री खांण है पौथी: डिंगळ रसावळ
कवि युगदृष्टा हुया करै अर उणरौ रच्यौड़ो साहित उणजुग रै समाज रो दरपण। कवि जिण परिवेस मांय पळै-ढळै, विचरण करै, उणरै जथारथरो वरणाव वो आपरी रचनावां मांय किया करै जिकौ जुगोजुग अमर...

नवै रंग रै नूर में परम्परावां नैं पोखती पोथी: ड...
आज रै अतिबौद्धिक अरसाव उपयोगितावादी जुग में जठै लोक-परम्परावां नैं रूढियां रो नाम देय कबाड़भेळै राळण रो चाळो चालै, उण टेम मायड़भाषा राजस्थानी रै डिंगळ काव्यरूप नैंपरोटतां आपरी प्रतिभा सूं सुधी...
नवै रंग रै नूर में परम्परावां नैं पोखती पोथी: ड...
आज रै अतिबौद्धिक अरसाव उपयोगितावादी जुग में जठै लोक-परम्परावां नैं रूढियां रो नाम देय कबाड़भेळै राळण रो चाळो चालै, उण टेम मायड़भाषा राजस्थानी रै डिंगळ काव्यरूप नैंपरोटतां आपरी प्रतिभा सूं सुधी...

हियै री हबोळ है - डिंगळ रसावळ
"दीपै वांरा दैस ज्यांरा साहित जगमगै" नै जीवण में सांगोपांग उतारतां प्रबुद्ध रचनाकार दीपसिंह भाटी 'दीप' रणधा री पोथी 'डिंगळ रसावळ' म्हारै हाथ वळु है। इणनै देखतां अर बाचतां ई म्हनै स्व. उदयराज जी...
हियै री हबोळ है - डिंगळ रसावळ
"दीपै वांरा दैस ज्यांरा साहित जगमगै" नै जीवण में सांगोपांग उतारतां प्रबुद्ध रचनाकार दीपसिंह भाटी 'दीप' रणधा री पोथी 'डिंगळ रसावळ' म्हारै हाथ वळु है। इणनै देखतां अर बाचतां ई म्हनै स्व. उदयराज जी...

अंतस में ओज रो संचार करती पोथी - सूरां पूरां री...
'सूरां पूरां री शौर्य गाथावां भाग-१' पोथी म्हारै हाथवळू है। सैं सूं पैला म्हूं डिंगळ रसावळ चैनल रा सिरताज आदरजोग दीपसिंह जी भाटी सा रौ अंतस काळजै आभार परगट करती थकी...
अंतस में ओज रो संचार करती पोथी - सूरां पूरां री...
'सूरां पूरां री शौर्य गाथावां भाग-१' पोथी म्हारै हाथवळू है। सैं सूं पैला म्हूं डिंगळ रसावळ चैनल रा सिरताज आदरजोग दीपसिंह जी भाटी सा रौ अंतस काळजै आभार परगट करती थकी...

इण सप्ताह री पोथी - सूरां पूरां री शौर्य गाथावा...
देवण रो जसजोगो काम करै। कथाकार आज री अफलातून पीढ़ी नैं आं शौर्य-गाथावां रै बहानैं आ समझावण री खेचळ करै कै बीती नैं चितार्यां बिना अर भावी नैं संवार्यां बिना...
इण सप्ताह री पोथी - सूरां पूरां री शौर्य गाथावा...
देवण रो जसजोगो काम करै। कथाकार आज री अफलातून पीढ़ी नैं आं शौर्य-गाथावां रै बहानैं आ समझावण री खेचळ करै कै बीती नैं चितार्यां बिना अर भावी नैं संवार्यां बिना...